आखिरी मौत
ये क्या? तीन महीने में दूसरा एबॉर्शन? सुजीत, मैंने पहले ही कहा था कि आपकी पत्नी को पहले से ही खून की कमी है। आप फिरसे सोचिये सुजीत, अपनी माँ को समझाने की कोशिश करिये।
“अम्मा अब सुनीता को लेके अस्पताल तुम जाया करो, डॉक्टर आज बहुत गुस्सा हो रही थी।” सुजीत ने अम्मा से आके शिकायत की।
"तुम चिंता मत्त करो, हम बात कर लेंगे इस बार डॉक्टर से।"
सुजीत ने अम्मा से इतना कहकर सुनीता को चाय लाने को कहा। सुनीता अब गुस्से में थी, उसका शरीर अब ये बोलने लगा था, माँ-बेटे की ज़िद, बच्चा पैदा करने की मशीन के अलावा सुनीता अपने आप को और कुछ नहीं समझती थी। दो बेटियों के बाद दो अबोर्शन, सास और पति के बनाये हुए कमज़ोर रास्ते पे चलना अब उसकी मजबूरी और आदत बन चुकी थी।
"डॉक्टर साहिबा बहुरिया की दो लड़कियां हो चुकी हैं। अब डर लगता है की फिरसे बेटी होगी तो मेरा बेटा तो परेशान हो जायेगा। कमाई भी तो चाहिए लड़कियां पलने के लिए आप खुद सोचिये। लड़की के पैदा होने से क्या मिलता है?" अम्मा ये सब डॉक्टर से कहने लगी।
"जी माँ जी आपने सही कहा पर क्या आपको पता है मेरी तनख्वाह कितनी है?"
"हम तीन बहने हैं, हम दो बहने डॉक्टर हैं और तीसरी सिविल सर्विसेज में है" - डॉक्टर ने बड़े आराम से कहा।
अम्मा चौंक गयी।
"अरे बेटी क्या बोल रही हो, मैंने तुम्हे कुछ नहीं कहा, गलत सोच रही हो तुम" - अम्मा बोली।
"नहीं अम्मा जी आपने मुझे ही नहीं, अपने आप को भी गाली दी है क्योंकि आपने भी लड़की के रूप में ही जनम लिया था, याद है?"
"अम्मा आपने कभी बहु से पूछा की वह भी बच्चा गिराना चाहती है की नहीं? बिना कहे एबॉर्शन करवा दिया उसका, बहु को एक मशीन समझते हैं आप लोग?
पता है जब पिछली बार उसका एबॉर्शन किया था तोह उसने क्या कहा था मुझे?"
"क्या बोली बहु?" - अम्मा ने चौकते हुए पूछा।
"यह ही की अब यह मौत आखरी है, इसके बाद और कोई मौत नहीं होगी।"
"शर्म आती है आप जैसी औरतों से मिलके।"
अम्मा ग्लानि से भर गयी और डॉक्टर के सामने हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगी।